ओलंपिक

लगातार तीसरी बार ओलंपिक गेम्स में पदक जीतने को तैयार पीवी सिंधु, स्वर्ण पर होंगी नजरें

पीवी सिंधु बैडमिंटन विश्व चैंपियन बनने वाली पहली और एकमात्र भारतीय हैं और ओलंपिक खेलों में लगातार दो पदक जीतने वाली भारत की दूसरी व्यक्तिगत एथलीट हैं। इस बार भी पेरिस ओलंपिक में देश को उनसे स्वर्ण पदक की उम्मीदें लगी हुई हैं। उन्होंने 2019 विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक सहित ओलंपिक और बीडब्ल्यूएफ सर्किट जैसे विभिन्न टूर्नामेंटों में पदक जीते हैं। पीवी सिंधु अर्जुन पुरस्कार और मेजर ध्यानचंद खेल रत्न सहित खेल पुरस्कारों की प्राप्तकर्ता भी हैं, साथ ही भारत का चौथा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार, पद्म श्री भी प्राप्त कर चुकी हैं। जनवरी 2020 में, पीवी सिंधु को पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया।

पीवी सिंधु का जन्म 5 जुलाई, 1995 में आंध्र प्रदेश के हैदराबाद में हुआ था। पीवी सिंधु का पूरा नाम पुसरला वेंकट सिंधु है। सिंधु के माता पिता दोनों ही राष्ट्रीय स्तर के वॉलीबॉल खिलाड़ी थे। पीवी सिंधु के पिता का नाम पीवी रमना है, जिन्होंने 1986 के सियोल एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीता था। सिंधु का मां पी विजया भी प्रोफेशनल वॉलीबॉल प्लेयर थीं। यही वजह है कि बचपन से ही खेल के प्रति सिंधु का जुड़ाव रहा। सिंधु की एक बहन भी हैं, जिनका नाम पीवी दिव्या है। पीवी सिंधु ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा औक्सिलियम हाई स्कूल से पूरी की। आगे की पढ़ाई के लिए पीवी सिंधु ने सेंट एंस कॉलेज फॉर वुमेन, मेह्दीपटनम से एमबीए की पढ़ाई की।

सिंधु ने आठ साल की उम्र में बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया था। महबूब अली के मार्गदर्शन में, उन्होंने सिकंदराबाद में भारतीय रेलवे सिग्नल इंजीनियरिंग और दूरसंचार संस्थान के बैडमिंटन कोर्ट में बैडमिंटन की मूल बातें सीखना शुरू किया। वह खेल सीखने और अभ्यास करने के लिए अपने घर से बैडमिंटन कोर्ट तक हर दिन 56 किलोमीटर की दूरी तय करती थीं। पीवी सिंधु गोपीचंद बैडमिंटन अकादमी में शामिल हुईं और 10 साल की उम्र में कई खिताब जीते। अंबुजा सीमेंट ऑल इंडिया रैंकिंग में, उन्होंने युगल और एकल वर्ग में 5वीं सर्वो ऑल इंडिया रैंकिंग चैंपियनशिप जीती।

13 वर्ष से कम आयु वर्ग में सिंधु ने पांडिचेरी में सब-जूनियर्स में खिताब जीते, कृष्णा खेतान ऑल इंडिया टूर्नामेंट में डबल्स खिताब, आईओसी ऑल इंडिया रैंकिंग, सब-जूनियर नेशनल्स और पुणे में ऑल इंडिया रैंकिंग जीती। 14 वर्ष से कम आयु वर्ग में उन्होंने भारत में 51वें राष्ट्रीय राज्य खेलों में स्वर्ण पदक जीता। 14 साल की उम्र में पीवी सिंधु ने अंतरराष्ट्रीय सर्किट में प्रवेश किया। उन्होंने कोलंबो में 2009 सब-जूनियर एशियाई बैडमिंटन चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता। सिंधु ने 2010 ईरान फज्र इंटरनेशनल बैडमिंटन चैलेंज में रजत पदक जीता। वह मैक्सिको में 2010 BWF विश्व जूनियर चैंपियनशिप के क्वार्टर फाइनल में पहुंचीं, लेकिन चीनी प्रतिद्वंद्वी से हार गईं। 2011 में सिंधु ने जून में मालदीव इंटरनेशनल चैलेंज और जुलाई में इंडोनेशिया इंटरनेशनल चैलेंज जीता।

डच ओपन में, वह फाइनल में पहुंची लेकिन मैच हार गई। स्विस इंटरनेशनल में, सिंधु ने कैरोला बॉट को हराकर फाइनल जीता। उन्होंने 2011 में इंडिया इंटरनेशनल बैडमिंटन इवेंट जीता। सिंधु भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BPCL) के हैदराबाद कार्यालय में सहायक खेल प्रबंधक के रूप में साल 2013 जुलाई से कार्यरत थीं। रियो ओलंपिक में पदक हासिल करने के बाद बीपीसीएल ने उप खेल प्रबंधक के तौर पर उनका प्रमोशन किया। इसके अलावा सिंधु को ब्रिजस्टोन इंडिया का पहला ब्रांड एंबेसडर भी नियुक्त किया गया था। पीवी सिंधु घरेलू प्रीमियर बैडमिंटन लीग में हैदराबाद हंटर्स की कप्तान हैं। साल 2016 में हुए रियो ओलंपिक में पीवी सिंधु ने रजत पदक जीता था। इस बार टोक्यो ओलंपिक 2020 में सिंधु ने कांस्य पदक हासिल किया। इस तरह सिंधु ने लगातार दो ओलंपिक में पदक जीतने वाली एकमात्र महिला खिलाड़ी का खिताब हासिल कर लिया। सिंधु 2018 राष्ट्रमंडल खेलों के उद्घाटन समारोह में भारत की ध्वजवाहक रह चुकी हैं।

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