सीएम ममता के माइक बंद करने के आरोपों पर वित्त मंत्री ने दिया जवाब, कहा- आपको बोलने का पर्याप्त समय मिला
नई दिल्ली। ममता बनर्जी शनिवार को नीति आयोग ‘गवर्निंग काउंसिल’ की बैठक बीच में ही छोड़कर बाहर निकल आईं. उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्ष की एकमात्र प्रतिनिधि होने के बावजूद उन्हें भाषण के बीच में ही रोक दिया गया. ममता ने आरोप लगाया कि बैठक में उन्हें सिर्फ 5 मिनट बोलने का मौका दिया गया, और बात पूरी हुए बिना ही माइक बंद कर दिया गया. हालांकि, अब सरकार की तरफ से ममता के आरोपों को गलत बताया गया है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि ममता बनर्जी ने जो मीडिया से कहा कि उनका माइक बंद कर दिया गया, वह पूरी तरह से झूठ है.
माइक बंद करने का दावा पूरी तरह से झूठा
निर्मला सीतारमण ने न्यूज एजेंसी-‘एएनआई’से कहा, सीएम ममता ने नीति आयोग की बैठक में हिस्सा लिया, हम सभी ने उन्हें सुना. हर मुख्यमंत्री को आवंटित समय दिया गया था और उसे स्क्रीन पर प्रदर्शित किया गया था जो हर टेबल के सामने मौजूद थी. उन्होंने मीडिया में जो कहा कि उनका माइक बंद कर दिया गया था, यह पूरी तरह से झूठ है.
बजाय झूठ के ममता बनर्जी सच बोलें
सीतारमण ने आगे कहा- प्रत्येक मुख्यमंत्री को बोलने के लिए उचित समय दिया गया था. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दावा किया है कि उनका माइक बंद कर दिया गया थ. यह सच नहीं है, उन्हें सच बोलना चाहिए, बजाय फिर से झूठ पर आधारित एक कथा का निर्माण करना चाहिए.
PIB फैक्ट चेक में सामने आई सच्चाई
वहीं भारत सरकार के संबंध में आने वाली भ्रामक खबरों का फैक्ट चेक कर रही पीआईबी की फैक्ट चेक ईकाई ने ‘एक्स’ पर ममता बनर्जी के बयान को शेयर करते हुए कहा, “यह दावा किया जा रहा है कि नीति आयोग की 9वीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक के दौरान पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री का माइक्रोफोन बंद कर दिया गया था. ये दावा भ्रामक है, घड़ी ने केवल यह दिखाया कि उनके बोलने का समय समाप्त हो गया था. यहां तक कि इसे चिह्नित करने के लिए घंटी भी नहीं बजाई गई.
पीआईबी फैक्ट चेक ने आगे बताया, अल्फाबेट के अनुसार, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री की बारी (बैठक में भाषण देने की) दोपहर के भोजन के बाद आती. लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार के आधिकारिक अनुरोध पर उन्हें सातवें वक्ता के रूप में बैठक में शामिल किया गया था, क्योंकि उन्हें जल्दी लौटना था.