व्रत त्योहार

कामिका एकादशी व्रत से मिलता है सभी पापों से छुटकारा

31 जुलाई को कामिका एकादशी है, हिन्दू धर्म कामिका एकादशी व्रत का खास महत्व होता है। इसे पावित्रा एकादशी भी कहा जाता है, तो आइए हम आपको कामिका एकादशी की पूजा विधि तथा महत्व के बारे में बताते हैं।

जानें कामिका एकादशी के बारे में 

सनातन धर्म में प्रत्येक मास की ग्यारहवीं तिथि को एकादशी व्रत रखने का विधान है। एकादशी तिथि हर मास में दो बार आती है। एक पूर्णिमा से पहले और दूसरी अमावस्या से पहले। प्रत्येक मास के अमावस्या से पहले आने वाली एकादशी को कृष्ण पक्ष की एकादशी और पूर्णिमा से पहले आने वाली एकादशी को शुक्ल पक्ष की एकादशी कहते हैं। हालांकि सभी एकादशी तिथि का अलग- अलग नाम और महत्व है। सावन मास के कृष्ण पक्ष की ग्यारहवीं तिथि को कामिका एकादशी का व्रत रखा जाता है। एकादशी तिथि जगत पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विधिवत रूप से पूजा करने का विधान है। इस दिन व्रत रखने से सभी पापों से छुटकारा मिल जाता है और भी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। धार्मिक मान्यता है कि सावन मास में एकादशी व्रत पूजा करने पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी के साथ-साथ भगवान शिव और माता पार्वती जी का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है।

कामिका एकादशी के दिन चावल का सेवन न करें

पंडितों के अनुसार एकादशी के पवित्र दिन चावल नहीं खाएं। एकादशी के दिन चावल खाने से मनुष्य का जन्म रेंगने वाले जीव की योनि में होता है। अगर आप व्रत नहीं करते हैं तो इस दिन व्रत नहीं रखने वालों को भी चावल का सेवन नहीं करना चाहिए। अगर आप चावल खाने के शौकीन हैं तो द्वादशी के दिन खा सकते हैं।

कामिका एकादशी के दिन सात्विक भोजन ही करें

धार्मिक शास्त्रों के अनुसार कामिका एकादशी के पवित्र दिन सदैव सात्विक भोजन करें। कभी भी मांस-मंदिरा का सेवन नहीं करें। सात्विक तथा शाकाहारी भोजन कर विष्णु भगवान की पूजा करें इससे आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी।

कामिका एकादशी के दिन कभी भी शाम को न सोएं

कामिका एकादशी के दिन व्रत रखने वाले भक्त सदैव याद रखें कभी भी शाम को न सोएं। इस दिन सदैव प्रातः उठना चाहिए तथा भगवान का भजन करना चाहिए। इससे भगवान विष्णु प्रसन्न होकर भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।

कामिका एकादशी के दिन सदैव ब्रह्मचर्य का पालन करें 

कामिका एकादशी के पवित्र अवसर पर सदैव संयम का पालन करें। कभी भी शारीरिक संबंध नहीं बनाएं। आपको संयम के साथ ब्रह्चर्य का पालन करना चाहिए। इस दिन भोग-विलास में लिप्त होने के बजाय पूजा-पाठ कर ईश्वर को प्रसन्न करें।

कामिका एकादशी व्रत में नियमों का करें सख्ती से पालन 

पंडितों के अनुसार कामिका एकादशी व्रत केवल एक दिन का व्रत नहीं है बल्कि इस व्रत का प्रारम्भ दशमी से ही शुरू हो जाता है। दशमी के दिन दोपहर को भोजन करने के बाद रात में भोजन न करें। इस प्रकार एकादशी के दिन पूजा कर फलाहार ग्रहण करें। उसके बाद द्वादशी के दिन ब्राह्मणों को भोजन करा कर दान दें उसके बाद पारण करें।

कामिका एकादशी का है खास महत्व

कामिका एकादशी का विशेष महत्व है। महाभारत काल में स्वयं भगवान कृष्ण ने पांडवों को एकादशी के महामात्य के बारे में बताया था। कामिका एकादशी का व्रत रखने और पूजा करने से जीवन से हर प्रकार के कष्ट का नाश होता है और सुख समृद्धि मिलती है। जीवन में सफलता प्राप्त होती है और पितृ भी प्रसन्न होते हैं। कामिका एकादशी का व्रत रखने से पापों से भी मुक्ति मिलती है।

कामिका एकादशी पूजा में तुलसी पत्र का प्रयोग होता है लाभकारी

पंडितों के अनुसार तुलसी पत्र विष्णु भगवान को विशेष प्रिय होता है। इसलिए कामिका एकादशी के व्रत में तुलसी पत्र का बहुत महत्व होता है तथा तुलसी पत्र की पूजा करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं। इसलिए पूजा में तुलसी पत्र का प्रयोग अवश्य करें।

ऐसे करें कामिका एकादशी की पूजा

सावन के पवित्र महीने में आने वाली कामिका एकादशी बहुत खास होती है। इसलिए इस दिन भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए विशेष विधि से पूजा करें। कामिका एकादशी के दिन प्रातः जल्दी उठकर घर की साफ-सफाई करें तथा स्नान के पश्चात ईश्वर का स्मरण कर व्रत का संकल्प लें। भगवान विष्णु की फल-फूल, दूध-दही तथा पंचामृत से पूजा करें और भगवान का नाम लेकर कीर्तन करें। एकादशी के दिन विविध प्रकार से पूजा-पाठ करने के पश्चात द्वादशी के दिन ब्राह्मणों को भोजन कराकर उन्हें यथाशक्ति दान दें।

कामिका एकादशी के दिन ऐसे करें पूजा

पंडितों के अनुसार इस दिन प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र को गंगाजल से शुद्ध करें। पूजा स्थल को साफ कर एक चौकी पर पीला वस्त्र बिछाएं और उस पर भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। धूप, दीप, फूल, चंदन, अक्षत और नैवेद्य आदि से भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा करें। पूजा में तुलसी पत्र का विशेष महत्व है, इसलिए तुलसी के पत्तों का उपयोग अवश्य करें। इसके बाद, विष्णु सहस्रनाम, भगवद गीता का पाठ करें और विष्णु मंत्रों का जाप करें। “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप विशेष रूप से लाभकारी होता है। दिनभर निराहार रहकर भगवान विष्णु का स्मरण करें और सत्कर्म करें।

शाम को पुनः भगवान विष्णु की आरती करें और फलाहार ग्रहण करें। रात्रि में जागरण कर विष्णु भजन-कीर्तन करें। अगले दिन द्वादशी को ब्राह्मणों को भोजन कराकर व्रत का पारण करें।भगवान कृष्ण ने कहा है कि- ‘कामिका एकादशी के दिन जो व्यक्ति भगवान के सामने  घी अथवा तिल के तेल काअखंड दीपक जलाता है उसके पुण्यों की गिनती चित्रगुप्त भी नहीं कर पाते हैं।’जो लोग किसी कारण से एकादशी व्रत नहीं कर पाते हैं, उन्हें भी एकादशी के दिन खानपान एवं व्यवहार में पूर्ण संयम का पालन करना चाहिए। एकादशी के दिन चावल खाना भी वर्जित है।

कामिका एकादशी के दिन न करें ये गलती

कामिका एकादशी के दिन तुलसी को गंदे या फिर जूठे हाथों से न छूएं। स्नान करने के बाद ही तुलसी का स्पर्श करें। इसके बाद शाम के समय तुलसी के पास घी का दीपक जलाएं और तुलसी मंत्रों का जाप करें। लेकिन इस दौरान काले कपड़े न पहनें, वरना इससे नकारात्मकता लगती है।

कामिका एकादशी के पारण का समय

पंडितों के अनुसार जो लोग 31 जुलाई को कामिका एकादशी का व्रत रखेंगे, वे पारण 1 अगस्त गुरुवार के दिन करेंगे। पारण का समय सुबह 5 बजकर 43 मिनट से सुबह 8 बजकर 24 मिनट के बीच है। इस समय में आप कभी भी पारण करके व्रत को पूरा कर सकते हैं। 1 अगस्त को द्वादशी तिथि का समापन दोपहर में 3 बजकर 28 मिनट पर होगा।

कामिका एकादशी का पारण कैसे करें?

कामिका एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि में किया जाता है. ऐसे में सूर्योदय के बाद ही व्रत खोलना चाहिए, उससे पहले कुछ भी नहीं खाया जाता है. एकादशी का व्रत शुभ मुहूर्त में ही खोलना चाहिए या फिर द्वादशी तिथि के समाप्त होने से पहले व्रत पारण कर लें. कामिका एकादशी व्रत का पारण करने का सही समय 1 अगस्त 2024 को सुबह 05 बजकर 43 मिनट से लेकर सुबह 08 बजकर 24 मिनट के बीच होगा।

इस साल सर्वार्थ सिद्धि योग में है कामिका एकादशी 

इस साल की कामिका एकादशी सर्वार्थ सिद्धि योग में पड़ रही है। पूरे दिन यह शुभ योग बना रहेगा। सर्वार्थ सिद्धि योग में आप जो भी कार्य करते हैं, उसके शुभ फल प्राप्त होते हैं।

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