नई दिल्ली

संसद में वक्फ बोर्ड संशोधन बिल पर बहस जारी, विपक्ष ने उठाए सवाल

नई दिल्ली। संसद का बजट सत्र जारी है, जिसमें सोमवार को वक्फ बोर्ड संशोधन बिल समेत कई अहम विधेयक पटल पर रखे जाएंगे। पिछले एक सप्ताह से विपक्ष और सत्तारूढ़ दलों के बीच तीखी बहस और हंगामा चल रहा है। आज वक्फ बोर्ड संशोधन बिल पेश होने की संभावना है। सरकार इस बिल के माध्यम से वक्फ बोर्ड की संपत्तियों को नियंत्रित करने के लिए नियम बना सकती है।

केंद्र सरकार के प्रस्तावित वक्फ अधिनियम संशोधन से वक्फ बोर्ड की संपत्तियों की नामित करने के अधिकार को सीमित किया जा सकता है। इन बदलावों में संपत्तियों के दावों के लिए अनिवार्य सत्यापन भी शामिल होगा। सरकारी अधिकारियों के अनुसार, यह कदम मुस्लिम समुदाय की मांगों के अनुरूप है।

2013 में वक्फ बोर्डों की शक्तियों का विस्तार
साल 2013 में कांग्रेस सरकार ने वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधनों के माध्यम से वक्फ बोर्डों की शक्तियों का विस्तार किया था, जो मुस्लिम कानून के तहत धार्मिक या धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए नामित संपत्तियों को विनियमित करता है। उस समय प्रधानमंत्री पी. वी. नरसिंह राव थे, जिन्होंने उदारीकरण और वैश्वीकरण के रूप में आर्थिक सुधार भी किए थे।

नए संशोधनों का मकसद
नए संशोधनों का उद्देश्य केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य बोर्डों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाना, जिला मजिस्ट्रेटों के साथ संपत्तियों की निगरानी के लिए उपाय करना और संपत्ति सर्वेक्षण में देरी को दूर करना है।

इंडियन मुस्लिम लीग ने जताया ऐतराज
वक्फ बोर्ड संशोधन बिल पर इंडियन मुस्लिम लीग के राष्ट्रीय सचिव मौलाना कौसर हयात ने ऐतराज जताया है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार लगातार मुस्लिम विरोधी अभियान चला रही है और इसका उद्देश्य मुस्लिम समुदाय को हाशिए पर धकेलना है। कौसर हयात ने यह भी कहा कि भाजपा के पास देश के विकास के लिए कोई ठोस कार्यक्रम नहीं है और वह मुसलमानों को दबाने और नुकसान पहुंचाने के लिए नए उपाय ढूंढ़ रही है।

कौसर हयात ने कहा, “भाजपा सरकार ने पहले भी मुस्लिम समुदाय के खिलाफ कई कदम उठाए हैं, जैसे कि समान नागरिक संहिता, तीन तलाक और धारा 370 के माध्यम से। वक्फ बोर्ड की संपत्ति मुस्लिम समुदाय की है, जिसे उनके पूर्वजों ने समाज के हित के लिए दान दिया था। इन संपत्तियों की कानूनी दस्तावेजीकरण कई सौ साल पुराना है और इस कारण विवाद भी हो सकते हैं।”

सरकार को वक्फ बोर्ड को और अधिकार देने चाहिए

कौसर हयात ने सुझाव दिया कि सरकार को वक्फ बोर्ड को और अधिक अधिकार देने चाहिए थे, ताकि वे अपनी संपत्तियों की रक्षा कर सकें और अदालतों को वक्फ संपत्ति से संबंधित विवादों का जल्द से जल्द निस्तारण करने का निर्देश देना चाहिए था। उन्होंने चिंता जताई कि सरकार वक्फ बोर्ड को समाप्त करने की कोशिश कर रही है और वक्फ की करोड़ों की संपत्तियों को अपने कब्जे में लेने की मंशा रखती है।

कौसर हयात ने कांग्रेस सरकार पर भी आरोप लगाया कि उसने वक्फ बोर्ड की संपत्तियों के प्रति लापरवाही दिखाई थी। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार की नीयत भी ठीक नहीं है और वह इसी दिशा में आगे बढ़ रही है। उनकी टिप्पणी ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है, और वक्फ बोर्ड संशोधन बिल को लेकर देशभर में चर्चा हो रही है। कई मुस्लिम संगठन इसके खिलाफ आवाज उठा रहे हैं।

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